एक बार की बात है एक जंगल में खरगोश और कछुआ (Khargosh Aur Kachua) रहता था। एक बार खरगोश को अपनी चाल पर बहुत घमंड हो गया और वह बाकी सब जानवरों का मजाक बनाया करता था।
खरगोश एक कछुए का उसकी धीमी गति के लिए बहुत मजाक उड़ाता था और उसने कछुए का मजाक बनाने के लिए उसे रेस लगाने को कहा और कछुआ भी रेस लगाने के लिए तैयार हो गया। यह दौड़ की प्रतियोगिता पूरे जंगल में आग की तरह फैल गई और यह बात जब जानवरों को पता चली तो सब रेस का लुफ्त उठाने के लिए रेस वाली जगह पर एकत्रित हो गए।
सब लोगों को लगता था कि रेस में खरगोश ही जीतेगा क्योंकि कछुआ तो बहुत ही धीरे चलता था। फिर भी सभी जानवर मिलकर कछुए का उत्साह बढ़ाने लगे और कछुए को रेस के लिए मोटिवेट करते रहे। कुछ ही देर में दौड़ शुरू हो गई। थोड़ी ही देर में कछुआ और खरगोश दोनों दौड़ लगाने के लिए भागे और कुछ ही सेकंड में खरगोश सब जानवरों की आंखों से ओझल हो गया और कछुआ अपनी चाल से चलता रहा।
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खरगोश आगे आगे दौड़ रहा था और कछुआ पीछे-पीछे धीरे-धीरे चल रहा था। दूर पहुंचने पर खरगोश को एक गाजर का खेत दिखाई दिया तो उसने सोचा क्यों ना गाजर खा कर थोड़ा आराम कर लेता हूं और उसने कछुए को पीछे देखा तो वह बहुत दूर था। खरगोश ने खेत में से गाजर तोड़े और आराम से खाया और एक पेड़ की छांव में आराम करने लगा। आराम करते करते खरगोश को नींद आ गई वहीं दूसरी तरफ धीरे-धीरे चलते चलते कछुआ भी वहां तक आ पहुंचा जहां खरगोश सोया हुआ था लेकिन खरगोश तब भी सोता रहा।
जंगल के जानवरों ने कछुए का हौसला बढ़ाया और उससे और तेज और तेज भागने को कहा इतने में जानवर की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और जैसे ही उसने कछुए को लक्ष्य के नजदीक देखा तो उसने तेजी से दौड़ना शुरू कर दिया। लेकिन उससे पहले कछुए ने रेखा पारकर रेस जीत ली। यह सब कुछ देख कर खरगोश का घमड़ चकनाचूर हो जाता है।
Moral of the Story – Khargosh Aur Kachua Kahani
हमें कभी भी अपने ऊपर घमंड नहीं करना चाहिए। दूसरों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए