कहानी का नाम है चरवाहा और भेड़िया(Shepherd and Wolf)। एक रामगढ़ नाम का गांव था। वहां पर सारे गांव वाले मिल-जुल कर रहा करते थे।
एक दूसरे का साथ दिया करते थे। उसी गांव में एक चरवाहा(Shepherd)था। वह पूरे दिन भेड़ों(Sheeps) को मैदान में ले जाता और घास करवाता। बैठे-बैठे वह सोचता रहता की क्यों ना जंगल में जाकर भेड़िए(Wolf)को देखा जाए या वह इधर से उधर चरागाह मालिक के कुत्ते(Dog)के साथ खेलता।
एक बार उसे शरारत सूची। उसने सोचा क्यों ना मैं जोर-जोर से भेड़िया(Wolf)आ गया!! भेड़िया आ गया!! चिल्लाओ ताकि जान सके की कोई गांव से उसकी जान बचाने कोई आएगा या नहीं। वह तेज-तेज चिल्लाने लगा।
मुझे बचाओ !! मुझे बचाओ!!
भेड़िया भेड़िया(Wolf) !!
भेड़िया भेड़िया !!
जैसे ही गांव में खेती करने वाले लोगों ने चरवाहे की आवाज़ सुनी तो वह अपना काम छोड़कर, भाग भाग के चरवाहे के पास गए।
जहां पर वह अपनी भेड़े चरा रहा था। लोगों ने कहा कहां है भेड़िया हमें बताओ कहां है भेड़िया!! इतने सारे लोगों को आता देख चरवाहा तेज-तेज की हंसने लगा। चरवाहे ने मजाक-मजाक में बोला कहां है भेड़िया, यहां तो कोई भी भेड़िया नहीं आया और वह जोर-जोर की हंसने लगा।
गांव वाले समझ गए थे की इसने हम सब से छल किया है और उसे कोसने लगे। गांव वाले फिर वहां से दोबारा अपने काम के लिए चले गए।
ऐसे ही दिन बीतते गए। चरवाहा(Shepherd) हर दिन भेड़िया आया!! भेड़िया आ गया!!
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चिल्लाते रहा और गांव वाले हर बार उसकी जान खतरे में सोचकर चरवाहे के पास आने लगे। चरवाहे ने गांव के लोगों को बहुत परेशान कर दिया था और वह चरवाहे से बहुत दुखी भी थे। ऐसा चार-पांच दिन चलता रहा।
एक दिन की बात है रोज की तरह चरवाहा अपनी भेड़ों को एक खुले मैदान में चरा रहा था उसी समय जंगल से एक भेड़िया भागता हुआ आया और चरवाहे की भेड़ों का शिकार करने लगा। चरवाहा यह देखकर अचानक से डर गया। उससे गांव वालों को आवाज़ लगाई की
बचाओ बचाओ !! बचाओ बचाओ!!
भेड़िया आ गया!! भेड़िया आ गया!!
पर इस बार उसकी चीख सुनकर कोई भी नहीं आया। सभी गांव वालों ने सोचा कि वह रोज की तरह हमसे मज़ाक कर रहा है। इस बार हम बिल्कुल भी बेवकूफ़ नहीं बनेंगे। यह सोच कर गांव में से कोई भी उसकी जान बचाने नहीं गया।
उधर धीरे-धीरे करके भेड़िए ने चरवाहे की सारी की सारी भीड़ मार दी। चरवाहा बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया।
चरवाहा(Shepherd) को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह समझ गया कि उसे यह मज़ाक बहुत महँगा पड़ा।
कहानी से शिक्षा – चरवाहा और भेड़िया
हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए अगर हम बार-बार झूठ बोलेंगे तो हमारा कोई भी विश्वास नहीं करेगा।