दोस्तों आशा करते हैं आप अच्छा कर रहे होंगे। आज हम आपके लिए एक कहानी लेकर आए हैं जिसका शीर्षक है “सभी को खुश और सभी की बात मानने के परिणाम”।आज आप पढ़ेंगे एक आदमी और उसके गधे की कहानी। एक नई दिन और एक नई सोच के साथ चलिए शुरू करते हैं हमारी कहानी।
एक गांव था जिसका नाम था रामगढ़। वहां पर एक आदमी रहता था जिसका नाम था रामू। वह अपने 14 साल के बेटे के साथ रहता था। उसके बेटे का नाम सोनू था। रामू के पास एक भी गधा था।
एक बार रामू ने अपने गधे को बाजार में बेचने का सोचा। रामू सुबह ही सुबह अपने गधे को लेकर बाजार की ओर चल पड़ा। रामू का बेटा सोनू भी उनके साथ था।
रास्ते में बहुत से गांव भी पढ़ते थे। जब वह एक गांव में पहुंचे तो वहां पर कुछ लोग उन्हें देखकर हंसने लगे। वह लोग आपस में हंसने लगे और कहा कैसे बेवकूफ लोग हैं। इनके पास गधा है लेकिन फिर भी यह पैदल चल रहे हैं। रामू ने कहा, “लोग तो सही कह रहे हैं। रामू ने सोनू से कहा, “बेटा तुम गधे के ऊपर बैठ जाओ। सोनू गधे के ऊपर बैठ गया। फिर वह आगे बाजार की ओर चल पड़े।
अब वह दूसरे गांव से गुजर रहे थे तो एक औरत ने उनको देखा और कहने लगी यह कितना स्वार्थी बेटा है। यह इतना हष्ट पुष्ट है फिर भी गधे के ऊपर बैठा हुआ है और इसका बाप जो कि बहुत कमजोर दिख रहा है पैदल चल रहा है। रामू के बेटे को यह बात अच्छी नहीं लगी उसने सोचा कि वह औरत सही बोल रही है। सोनू ने अपने पिताजी से कहा आप इस घोड़े में बैठ जाइए और मैं पैदल चलता हूं। अब सोनू पैदल चल रहा था और रामू गधे के ऊपर बैठा हुआ था।
थोड़ी आगे जाकर उनको एक बूढ़ी औरत मिली। उस औरत ने रामू से कहा यह कैसा पिता है इतना कठोर पिता मैंने कभी भी नहीं दिखा। खुद गधे के ऊपर बैठा हुआ है और उसका बेटा पैदल चल रहा है। रामू ने कहा औरत की बात बिल्कुल सही है। रामू और सोनू ने सोचा कि हम दोनों ही गधे के ऊपर बैठ जाते हैं।
गधे बेचारे की हालत अब खराब होने लगी क्योंकि सोनू और रामू का वजन बहुत ज्यादा था। गधा उन दोनों का भार उठाने के कारण बहुत थक चुका था। जब वह बाजार की ओर आगे गए तो उन्हें दो आदमी मिले। जो कि एक वृक्ष के नीचे आराम कर रहे थे। रामू ने उनसे कहा भाई साहब जरा आप बाजार जाने का रास्ता बताएंगे। आदमी ने उन्हें बाजार जाने का रास्ता बताया। उनमें से एक आदमी ने कहा तुम लोग कितने क्रूर हो। एक मासूम जानवर के ऊपर तुम दोनों बैठे हुए हो। गधा एकदम थक चुका है। रामू और सोनू ने सोचा कि आदमी तो सही कह रहा है। दोनों ने सोचा क्यों ना हम दोनों एक डंडे से गधे के पांव बांधे और उस डंडे के एक चोर को रामू पकड़ेगा और दूसरे छोर को सोनू पकड़ेगा। जिससे गधे को आराम मिलेगा और उसकी थकान भी मिट जाएगी।
दोनों ने ऐसा ही किया अब वह गधे को बांध के आगे बाजार की ओर ले जा रहे थे । रास्ते में एक कच्चा पुल पड़ता था जिसके नीचे एक नदी बहती थी। जैसे ही वह तीनों पुल के ऊपर चढ़े वैसे ही पुल कमजोर होने के कारण टूट गया और वह तीनों नदी में जा गिरे। रामू और सोनू नदी से बाहर आ गए लेकिन गधे के पांव बंधे थे इसलिए वह नदी के बहाव में बह गया। अब जाकर रामू और सोनू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने सोचा कि उन्होंने दूसरों की राय मानकर अपना नुकसान करा दिया।
कहानी से शिक्षा:
जो सबकी सुनते है वह अपना ही मज़ाक बना लेते है।