यह टोपीवाला और बंदर की कहानी है। एक छोटा शहर था जहां एक आदमी टोपिया बेचकर अपनी जिंदगी बिता रहा था।
वह टोपी वाला हर रोज अलग-अलग शहरों और गांवों में जाकर टोपिया बेचा करता था।
एक दिन की बात है वह ओर दिनों की तरह अपनी टोपिया बेचने के लिए दूसरे गांव में जा रहा था।
टोपीवाला पूरे रास्ते में कह रहा था टोपिया ले लो…टोपिया ले लो… ₹5 की टोपिया..₹10 की टोपिया ले लो।
अब वह एक जंगल से गुजर रहा था। वह अब बहुत थक चुका था।
उसने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का सोचा। टोपीवाले ने टोपियों की टोकरी को जमीन पर रखा और सोचते सोचते उसे नींद आ गई।
उस पेड़ के ऊपर बहुत सारे बंदर रहा करते थे। धीरे धीरे बंदर एक डाल से दूसरे डाल में कूद रहे थे।
सभी बंदर बहुत ही शरारती थे। उनमें से एक बंदर नीचे आया और जैसे ही उसने टोपी की टोकरी देखी उसने अपने बाकी साथियों को नीचे बुलाया।
एक-एक करके बंदरों ने सभी टोपियो को टोकरी से निकाल लिया और पेड़ के ऊपर चढ़कर सभी टोपिया सिर पर पहने ली।
जैसे ही टोपीवाला अपनी नींद से उठा, वह टोपियो की टोकरी खाली देखकर आश्चर्यचकित हो गया।
टोपीवाला हर जगह टोपिया खोजने लगा। आखिर में उसने पेड़ के ऊपर बंदरो को अपनी टोपी पहनते हुए देखा।
उसे थोड़ी देर में पता चला कि सभी बंदर उसकी नकल कर रहे हैं।
इसलिए टोपीवाले ने अपने सर से अपनी टोपी निकाली और जमीन पर फेंक दी।
सभी बंदरों ने टोपीवाले को देखकर वैसा ही किया और अपने शिर से सारी टोपी नीचे जमीन पर गिरा दी।
टोपीवाले ने जल्दी से सारी टोपिया इकट्ठा की और उन सब को अपने टोकरी में डाला और अगले गांव की ओर चल पड़ा।
कहानी से शिक्षा – टोपीवाला और बंदर की कहानी | Capseller and Monkey Story
बुद्धि ही सब कुछ है