आज की कहानी है “शेर और बंदरों की दुश्मनी”।
बहुत पुरानी बात है एक जंगल था। उस जंगल में जमीन के चक्कर जानवरों में लड़ाइयां हुआ करती थी। हर जानवर की अलग-अलग जगह होती थी। जंगल में एक पहाड़ था उस पहाड़ में बंदरों का डेरा था। वह दिनभर पहाड़ी में घूमते रहते और मौज मस्ती करते हैं।
एक बार की बात है वहां शेर अपने सेक्रेटरी भेड़िए के साथ आया और पहाड़ में बनी एक गुफा में रहने लगा। यह देख कर बंदर बहुत क्रोधित हुए और उन्हें उन्हें शेर का आना बिल्कुल पसंद नहीं आया।
वह शेर के पास गए और कहा कि आप हमारी जगह में आ गए हैं और आपसे प्रार्थना है कि आप यहां से चले जाएं क्योंकि आपके आने से हमें परेशानी हो रही है। शेर ने कहा कि मैंने तो किसी को कुछ नहीं कहा और मैं तो किसी को परेशान भी नहीं कर रहा हूं और जब तक कोई मुझे परेशान नहीं करेगा, जब तक मैं उन्हें भी परेशान नहीं करूंगा और कहा कि मैं यहां से नहीं जाऊंगा। मैं तुम्हें परेशान भी नहीं करूंगा।
बंदर को शेर का दखल होना बिलकुल पसंद नहीं आया। पर वह क्या कर सकते थे। वे वहां से चले गये।लेकिन बंदरों ने एक उपाय सूझा और कहा क्यों ना हम शेर को परेशान करें और उसको यहां से जाने के लिए मजबूर कर दे।
एक बार शेर अपनी गुफा के बाहर सोया हुआ था और बंदर ने सोचा क्यों ना पहाड़ से एक पत्थर शेर के पास फेंक दें ताकि वह डर जाए और वहां से भाग जाए।
बंदरों ने पहाड़ी से एक बड़ा सा पत्थर नीचे फेंक दिया और वह शेर के पास जाकर गिरा। शेर की नींद खुल गई पर वह डरा नहीं और वह वापस गुफा में चले गया। बंदर की यह तरकीब भी काम नहीं आई।
अब गर्मियों का मौसम आ गया और शेर ने अपने सेक्रेटरी भेड़िए से कहा कि गर्मी बहुत हो रही है और मैं नदी तक पानी पीने नहीं जा सकता, इसलिए तुम मेरे लिए पानी यही ले आना। भेड़िए ने कहा जी महाराज।
अब जैसे ही भेड़िया एक बाल्टी में पानी लेकर आया, तो बंदरों ने उसे देखा और उन्हें एक उपाय सूझा।
उन्होंने बात की और एक बड़ी सी बांस की डंडी ली और जिसमें पानी भरा था उसमें डाला और दूसरी छोर को पहाड़ी के नीचे छोड़ दिया।
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जिससे बाल्टी का सारा पानी बांस के दूसरी ओर से पहाड़ी के नीचे गिरने लगा और इस तरह बाल्टी का सारा पानी खत्म हो गया। जब शेर बाल्टी के पास पानी पीने आया तो उसने देखा कि बाल्टी बिल्कुल खाली हो चुकी थी।
उसने भेड़िए को बुलाया और उससे कहा कि पानी तो है ही नहीं, मैंने तुम से पानी लाने को कहा था।
भेड़िए ने कहा हजूर मैं तो पानी लाया था शायद गर्मी के वजह से वह भाप बनकर उड़ गया। बंदर दूसरी ओर इसको देख रहे थे और मन ही मन हंस रहे थे।
दूसरे दिन भी ऐसे ही हुआ रोज की तरह भेड़िया फिर पानी लाया और भेड़िए ने उसी तरह उसे भी पहाड़ी से नीचे फेंक दिया। शेर वापस फिर आया और उसने फिर भेड़िए को पानी ना होने की वजह से डांट लगाई। भेड़िए ने कहा हजूर मैं तो पानी लाया था लेकिन समझ नहीं आ रहा कि पानी कैसे खत्म हो गया।
अगले दिन दुबारा भेड़िया पानी की बाल्टी भरकर लाया और रखते ही वह कहीं छुप गया। गुफा से शेर भी देख रहा था, बंदर रोज की तरह आए और उसमें बांस की डंडी डालकर पानी बाहर पहाड़ी से फेंकने लगे।
शेर ने और भेड़िए ने यह सब कुछ देख लिया, भेड़िए ने शेर से कहा हजूर यह बंदर है जो कि पानी का पार्टी खत्म कर दे रहे हैं।
आपको इन सब को दंड देना चाहिए। शेर ने कहा नहीं हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। तुम कल से आधा पानी गुफा के अंदर रख देना और आधा पानी बाल्टी में बाहर रख देना।
भेड़िए ने ऐसा ही करा वे रोज की तरह आधा पानी अंदर गुफा में ले गया, बाकी बाहर रख दिया और बंदर रोज की तरह उसमें से पानी निकालने लगे और बाहर फेंकने लगे।
ऐसे ही दिन बीते रहे बंदर बार-बार बाल्टी के पानी को बांस की डलिया लगाकर पहाड़ के नीचे फेंकने लगे और अब बंदरों को भी लग रहा था कि शेर उनको देख रहा है और ऐसा ही चलता रहा।
बंदरों को भी गौर हुआ कि शेर उनको पानी फेंकते हुए देख रहा है कई बार ऐसा लगने के बाद बंदरों को समझ नहीं आया कि शेर उन्हें कुछ कह भी नहीं रहा है और आजकल शेर शिकार करने जाता है और जल्दी ही शिकार लेकर वापस गुफा में आ जाता है।
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उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि फिर शेर जानता है फिर भी हमें कुछ कह नहीं रहा है।
उन सब ने सोचा क्यों ना हम शेर के पास जाते ही शेर से पूछ ले सब बंदर शेर के पास पहुंचे और उन्होंने शेर से कहा, शेर हम रोज तुम्हारा पानी पहाड़ से नीचे फेंक देते हैं और आपको भी यह चीज पता है, फिर भी आपने हमें कुछ कहा नहीं और हमारा नुकसान नहीं किया। बल्कि हमने आपका रोज नुकसान किया है।
शेर ने कहा हां मैं सब जानता हूं पर तुम्हें यह नहीं पता कि आजकल मुझे जल्दी शिकार मिल जा रहे हैं। वह भी तुम्हारी वजह से, बंदरों ने कहा हम तो आपका नुकसान कर रहे हैं तो आपको शिकार कैसे मिल जा रहे हैं।
शेर ने कहां, पहाड़ी के नीचे जो तुम पानी रोज फेंक रहे हो उस पानी से नीचे बहुत बड़ी घास उग गई है और उस घास को खाने के लिए दूर-दूर से जानवर आते हैं।
जब मैं पहाड़ी से उतरता हूं तो मैं सीधा ऊपर से जानवरों के ऊपर हमला कर देता हूं, और अपना शिकार वापस गुफा में ले आता हूं।
इससे मुझे ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी होती यह सुनकर बंदर हैरान हो गए और उन्हें समझ आ गया कि हमें किसी को भी परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि जिसे हम परेशान कर रहे हैं क्या पता वह चीज उसके लिए फायदा दे रही है।
कहानी से शिक्षा – शेर और बंदरों की दुश्मनी | Short Story in Hindi
सुलझे हुए लोगो को हर बार अपनी शक्ति दिखने की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योकि वह हर परिस्थिति को अवसर में बदल देते है।