आज की हमारी Bacchon Ki Nayi Hindi Kahani का शिक्षक है “Magic of Kindness”। एक गांव में साधु का आश्रम था। उस आश्रम में बहुत से विद्यार्थी पढ़ने आया करते थे। एक बार साधु ने अपने शिष्यों से प्रश्न पूछा की हम अपने शत्रुओं को कैसे मार सकते हैं?
पहले शिष्य ने कहा, “हमें अपने शत्रुओं का सिर काट देना चाहिए।
दूसरे शिष्य ने कहा, “हमें शत्रुओं के सिर में पत्थर फेंक देना चाहिए। इस तरीके से हम अपने शत्रुओं को मार सकते हैं।
साधु अपने शिष्यों की यह बातें सुनकर आश्चर्यचकित हो गया। साधु ने कहा, “हम अपने शत्रुओं को बिना सिर काटे और बिना खून निकाले भी मार सकते हैं। साधु ने कहा कि मैं आज तुम्हें रामदीन और रमेश की कहानी सुनाता हूं।
इस तरह साधु ने कहानी सुनाना शुरू किया।
हिंदी कहानी पढ़ने के लिए लिंक पर दबाए Prince’s Story – A Value Based Story In Hindi
एक धूल-सरस नाम का गांव था। उस गांव में रामदीन नाम का किसान रहता था। रामदीन बहुत गुस्सैल और चिड़चिड़ा मिज़ाज का था। गांव में वह किसी से भी आदर से बात नहीं करता था। गांव के सभी लोग रामदीन की आदत को जानते थे और उसे पसंद नहीं करते थे।
एक बार रमेश नाम का व्यक्ति रामदीन के गांव में रहने के लिए आया। गांव के लोगों ने रमेश को रामदीन के बारे में बताया और उससे दूरी बनाने को कहा। इसके जवाब में रमेश ने गांव वालों से कहा कि वह रामदीन को मार देगा।
यह खबर रामदीन तक चली गई की रमेश उसे जान से मार देगा। रामदीन को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया और वह रमेश से नफरत करने लग गया।
रमेश गांव में नया था तो इसलिए उसने गांव वालो के घर फलों की टोकरियाँ भिजवाई। रमेश ने अपने नौकर से रामदीन के घर भी फलो की टोकरी भेजने को कहा।
रमेश गांव में नया था तो इसलिए उसने गांव वालो के घर फलों की टोकरियाँ भिजवाई। रमेश ने अपने नौकर से रामदीन के घर भी फलो की टोकरी भेजने को कहा।
रामदीन को जब इस बात का पता चला तो उसने फलो की टोकरी लेने से मना कर दिया और नौकर से कहा की रमेश को इसके बदले में आगे जाकर जरूर कुछ ना कुछ चाहिए होगा इसलिए वह मेरे को फलों की टोकरी भेंट में दे रहा है। रामदीन ने फलों की टोकरी लेने से साफ मना कर दिया।
ऐसे ही दिन बीतते गए। एक बार रमेश की गाय एक बड़े से कीचड़ के गड्ढे में जा गिरी। रमेश ने गाय को गड्ढे से बाहर निकालने की बहुत कोशिश करी पर वह नाकाम रहा। उसी रास्ते से रामदीन भी गुजर रहा था। रमेश ने रामदीन से सहायता मांगी। लेकिन रामदीन ने सहायता देने से इनकार कर दिया और कहा, “मुझे बहुत ही जरूरी काम के लिए जाना है तो मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकता।” रामदीन फिर वहां से चला गया।
रमेश ने किसी तरह गांव वालो की मदद लेकर गड्ढे से गाय को बाहर निकाला।
एक दिन की बात है रामदीन की गाय ठीक उसी गड्ढे में फस गई जिस गड्ढे में रमेश की गाय गिर गई थी। उसी समय रमेश वहां से गुजर रहा था। रमेश ने जैसे ही रामदीन की गाय गड्ढे में गिरी हुई देखी, वह जल्दी ही अपने घर चला गया और दो बैलों को गाय को खींचने के लिए ले आया। रामदीन ने रमेश से कहा कि मुझे तुम्हारी सहायता नहीं चाहिए। लेकिन रमेश ने जिद करके उसकी सहायता की और गाय को गड्ढे से बाहर निकाल दिया।
रामदीन को यह देख कर बड़ा अजीब सा लगा। रामदीन जब अपने घर में गया तो उसे आज अलग सा लग रहा था। उसके मुख में एक खुशी झलक रही थी।
जैसे ही रामदीन की पत्नी ने रामदीन को देखा तो कहने लगी, “तुम आज इतने खुश क्यों दिख रहे हो?
रामदीन ने उत्तर दिया कि रमेश ने मुझे मारने की बात गांव वालो से कहीं थी और आज सच में रमेश ने मुझे मार दिया। रमेश ने मेरे अहंकार को मार दिया।
अगले दिन रामदीन रमेश से मिलने गए और उसे गले लगा कर मदद के लिए शुक्रिया कहा। अब रामदीन बदल चूका था और वह अब हर किसी से अच्छे से व्यवहार करता था।
इस कहानी को सुनाने के बाद साधु ने अपने शिष्यों से कहा की सहयोग से और दयालुता से हम अपने किसी भी शत्रु को मार सकते हैं।