इस Bachon Ki Rochak Kahani का नाम है ईश्वर का सहारा (God Help) । एक गांव था और उसी गांव के पास से एक नदी बहती थी। उस गांव के लोग भगवान को बहुत मानते थे। उसी गांव में एक बड़ा सा मंदिर था जहां पर एक पुजारी रहा करता था।
एक बार उस गांव में बहुत तेज की बाढ़ आ गई। गांव के सभी लोग अपने गांव को छोड़कर सुरक्षित जगह जाने लगे। गांव का एक व्यक्ति भागते हुए मंदिर में गया और पुजारी से बोला कि हमें जल्दी से गांव छोड़ना होगा और एक सुरक्षित जगह पर जाना होगा। बाढ़ से गांव में पानी भर जाएगा और गांव को भी बहा सकता है।
पुजारी ने भागने से इनकार कर दिया और कहा, “मेरे पास मेरा भगवान है और वह मुझे सुरक्षित करेगा।” अगर आप जाना चाहते हैं, तो आप चले जाएं। अब बाढ़ का पानी भी मंदिर में प्रवेश कर रहा था। ग्रामीण तेजी से मंदिर से भाग गए।
मंदिर में पानी बढ़ता गया और अब पानी पुजारी की कमर के ऊपर तक बह रहा था। कुछ समय बाद उस जगह में एक आदमी अपने नाव लेकर आया और पुजारी से नाव में बैठने को कहा।
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पुजारी ने नाव वाले से साफ मना कर दिया और उसे कहा कि मेरे साथ मेरे भगवान है और वह मुझे बचा लेंगे। तुम यहां से चले जाओ। वह व्यक्ति पुजारी को वहीं छोड़कर अपनी नाव लेकर चला गया।
बाढ़ का पानी अब तक छत तक पहुंच चुका था।। पुजारी मंदिर से निकल कर मंदिर की छत में चला गया। थोड़ी देर बाद वहां पर एक हेलीकॉप्टर आया और हेलीकॉप्टर में से रस्सी की सीढ़ी बाहर निकली और पंडित को उस पर चढ़ने को कहा।
पुजारी ने सीढ़ी चढ़ने से मना कर दिया और कहा कि मुझे मेरे भगवान बचाएंगे। हेलीकॉप्टर फिर वहां से दूसरे लोगों की जान बचाने के लिए चला गया।
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बाढ़ का पानी अब तक छत तक पहुंच चुका था।। पुजारी मंदिर से निकल कर मंदिर की छत में चला गया। थोड़ी देर बाद वहां पर एक हेलीकॉप्टर आया और हेलीकॉप्टर में से रस्सी की सीढ़ी बाहर निकली और पंडित को उस पर चढ़ने को कहा। पुजारी ने सीढ़ी चढ़ने से मना कर दिया और कहा कि मुझे मेरे भगवान बचाएंगे। हेलीकॉप्टर फिर वहां से दूसरे लोगों की जान बचाने के लिए चला गया।
अब पूरा मंदिर पानी में डूब गया और पुजारी के कंधों तक पहुँच गया। पुजारी ने कहा, “हे भगवान! मैंने आपकी भक्ति की और जीवन भर सेवा की लेकिन आप मुझे बचाने क्यों नहीं आए?
तब भगवान वहां आए और उन्होंने कहा कि मैं तीन बार आपकी जान बचाने के लिए आया था। लेकिन आपने तीन बार मेरी मदद लेने से इनकार कर दिया। एक बार मैं एक ग्रामीण के रूप में आया था, दूसरी बार मैं नाइक के रूप में आया था और अंत में एक हेलीकाप्टर में आया था। आपने तीन बार मेरी मदद लेने से इनकार कर दिया। आप मुझे पहचान नहीं सके
पंडित को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भगवान से उसे माफ करने और अपनी जान बचाने के लिए कहा। भगवान ने उसे एक और मौका दिया और उसकी जान बचाई।
कहानी से शिक्षा – ईश्वर का सहारा | God Help | Bachon Ki Rochak Kahani
जीवन में कई अवसर बिना बुलाए आते हैं। हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं और जीवन भर शिकायत करते हैं कि हमें जीवन में कोई मौका नहीं मिला है ताकि हम एक अच्छा जीवन जी सकें। हमें हमेशा हर मौके को देखना चाहिए ताकि हमारा जीवन अच्छा हो सके।