इस प्रेरणादायक लघु कहानी का नाम है दर्जी की सीख (Darji Ki Sheekh)। एक सोहन पुर नाम का गांव था। वहाँ पे एक राजू नाम का लड़का अपने माता पिता के साथ रहता था। राजू पांचवी क्लास में पढ़ता था। उसके पिताजी दर्जी का काम करते थे।
एक दिन स्कूल से छुट्टी होने के बाद राजू अपने पिता जी की दूकान में आया, जहाँ उसके पिताजी लोगो के कपड़े सिलते थे। राजू जब दुकान पर आया तो उस समय राजू के पिताजी कपड़े सील रहे थे। राजू अपने पिता को कपड़े सीलते हुए देख रहा था।
राजू ने देखा उसके पिता कैंची से कपड़े को काटते है और कैंची को पैर से दबा देते है।
सूई से कपड़े की सिलाई करते है और उसके बाद सूई को टोपी पर लगा लेते हैं।
उसने अपने पिताजी को यही काम करते हुए चार – पांच बार देखा।
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फिर उससे रहा नहीं गया और उसने अपने पिताजी से पूछा, “पिताजी मैं आपको काफी देर से देख रहा हूं कि आप जब भी कपड़े को काटते है तो उसके बाद कैंची को पैर से दबा लेते हैं और सुई से सिलाई करने के बाद उसे टोपी पर लगा लेते हैं। ऐसा आप क्यों करते है?
राजू के पिताजी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा कैंची काटने का काम करती है और सुई जोड़ने का काम।
काटने वाले की जगह हमेशा नीचे होती है और जोड़ने वाले की हमेशा ऊपर। इसलिए मैं हमेशा सूई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर से दबाता हूं |
राजू को पिता की बात समझ आ गई। उसने पिताजी को प्रणाम किया और घर की ओर चल पड़ा।
कहानी से शिक्षा – Darji Ki Sheekh | दर्जी की सीख | प्रेरणादायक लघु कहानी
हमे हमेशा मिल-जुल कर रहना चहिये क्योकि साथ रह कर हम हर मुश्किल को हरा सकते है।