इस प्रेरणादायक लघु कहानी का नाम है “पत्थर का मोल” एक बार एक साधू घूमता हुआ, एक गांव पहुंचा। उसे देख कर वहां के लोग उसके सामने हाथ जोड़े उसका आशीर्वाद लेने पहुंचे।
थोड़ी देर बाद एक लड़का रोते हुए आया, साधू ने उससे पूछा, “क्या हुआ पुत्र ? तुम रो क्यों रहे हो ?
लकड़ा बोला बाबा जी में बहुत परेशान हूं। लोग मुझे नकारा, नीक्कमा और कामचोर कहते है।
लेकिन सच बात तो ये है कि मुझे कोई काम देता ही नहीं है। अब मुझे भी लगता है कि मैं किसी काम नहीं हूं।
लड़के की बात सुनकर साधू ने कहा,”पुत्र तुम ऐसे दुखी मत हो। साधू ने अपने झोले से एक चमकीला नीला पत्थर निकाला और उस लकड़े के हाथ में दे दिया और कहा,”जाओ इसकी जितनी कीमत लगवा सकते हो लगवा लो, और लड़का वहां से निकल गया।
लड़का सबसे पहले एक फल वाले के पास गया। उसने फल वाले को वो पत्थर दिखया और कहा, “तुम मुझे इस पत्थर के कितने पैसे दे सकते हो?
फल वाले ने चारों तरफ से पत्थर को देखा और कहा,”मैं इसके 500 रुपए दे सकता हूँ। लड़का वहां से चला गया।
उसके बाद वो एक बर्तन भंडार वाले के पास गया। उसने उससे भी वही बात पूछी की तुम पत्थर के बदले कितने रुपए दे सकते हो?
बर्तन वाले ने पत्थर देखा और कहा,”मैं इसके तुम्हें 2000 रूपए दे सकता हूं और लड़का वहां से भी चला गया।
फिर लड़का घूमते-घूमते एक सुनार के पास गया उसने सुनार को पत्थर दिया। सुनार ने पत्थर सही से देखा और कहा,”मैं तुम्हें इसके 50000 रुपए दे सकता हूं।
लड़के ने थोड़ी देर सोचा और वहां से निकल गया। वो साधू के पास जाने के लिए निकला तो रास्ते में एक हीरा व्यापारी की तरफ उसकी नज़र पड़ी। उसने सोचा एक आखिरी बार इन्हें दिखता हूँ।
वह व्यापारी के पास गया और उन्हें वो नीला चमकीला पत्थर दिखाया। उस व्यापारी ने उस पत्थर को बहुत आराम से देखा और कहा ,”तुम्हें ये पत्थर कहाँ से मिला?
लकड़े ने पूछा,”क्या हुआ साहब? व्यापारी ने कहा,”ये कोई मामूली पत्थर नहीं है। ये एक अमूल्य रत्न है इसकी कीमत में भी नहीं बता सकता।
लड़का व्यापारी की बात सुनकर दंग रह गया। उसने सोचा,”मैंने पीछे जितने लोगो से पूछा, सब ने इस पत्थर की कुछ न कुछ कीमत बताई और इन्होंने इसकी कीमत अमूल्य बताई है।
उसके बाद लड़के ने सोचा अगर एक पत्थर की कीमत कोई सही से बता नहीं सकता तो लोग मेरे बारे में कैसे कह सकते है कि मैं कुछ नहीं कर सकता।
लकड़े ने उसी समय निश्चय किया कि वो हार नहीं मानेगा वो नौकरी की तालश में फिर निकलेगा और तब तक नहीं रूकेगा जब तक उसे नौकरी मिल ना जाएं।
वह साधु के पास वापस आया और उन्हें धन्यवाद किया और उन्हें पत्थर वापस करके, नौकरी की तलाश में लग गया।
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कहानी से शिक्षा – पत्थर का मोल | प्रेरणादायक लघु कहानी | Value of Stone
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