इस कहानी का नाम है “गुस्से की कील” (Gussey Ki Keel Hindi Kahani)। बहुत समय पहले की बात है एक गांव में राजू नाम का लड़का रहता था । उसका व्यवहार काफी चिड़चिड़ा और गुस्से वाला था। वह लोगो पर बहुत ज्यादा गुस्सा करता और गलत शब्द भी बोलता जिसकी वजह से उसके आस-पास के लोग काफी परेशान हो गए थे।
जब राजू के पिताजी को यह बात पता चली तो उन्होंने राजू से बात की और उसे कील से भरी हुई एक थैली दी और कहा अब जब भी तुम्हें गुस्सा आए, तुम इस थैली से कील निकालना और इस बाड़े में ठोक देना।
राजू को अगले दिन फ़िर बहुत गुस्सा आया और उसने बाड़े में बीस कीलें ठोक दी। ऐसे ही कीलों की संख्या कम होती चली गई। फिर उसे लगा कि कीलों को इतनी मेहनत से ठोकने की जगह गुस्सा करना ही बंद कर दू और फिर धीरे – धीरे उसका गुस्सा करना बिल्कुल खत्म हो गया।
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जब यह बात उसने अपने पिताजी को बताई तो उसके पिताजी ने उससे फिर से एक काम दिया। अब उन्होंने कहा,”जिस दिन तुम्हें बिल्कुल भी गुस्सा ना आये उस दिन बाड़े से एक कील निकाल देना। राजू ने वैसा ही किया और एक दिन उसने बाड़े से सारी कीलें निकाल दी और अपने पिताजी को जाकर खुशी से यह बात बताई।
फिर पिताजी उसका हाथ पकड़ कर बाड़े की तरफ ले गए और कहा राजू तुमने यह बहुत अच्छा काम किया है। लेकिन क्या तुम इस बाड़े के छेद को भर सकते हो। राजू पिताजी की तरफ देखने लगा। पिताजी ने कहा अब यह बाड़ा कभी पहले जैसा नहीं हो सकता।इसी तरह जब तुम सामने वाले व्यक्ति को गलत शब्द बोलते हो तो वह शब्द उसके दिल में घाव का काम करते है। हमारे शब्दों से ही हमारे व्यवहार और संस्कार का पता चलता है। गुस्सा ही इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। गुस्से से मस्तिष्क का विकास रुक जाता है और हम किसी काम के नहीं रहते है।