भगवान कृष्ण और गरीब पुजारी | बच्चों की कहानियां

आज हम आपके लिए लेकर आए हैं हमारी नई कहानी जिसका शीर्षक है “भगवान कृष्ण और गरीब पुजारी”।
यह कहानी बहुत ही पुरानी त्रेता युग की है जब श्री कृष्ण अपनी लीलाएं रच रहे थे।

एक बार की बात है भगवान कृष्ण और अर्जुन रथ में बैठकर जंगल की ओर जा रहे थे। जंगल जाने से पहले एक मंदिर पड़ता था। जैसे ही वह मंदिर पहुंचे तो अर्जुन ने एक गरीब पंडित को देखा। जोकी मंदिर के पास बैठ कर भीख मांग रहा था।

अर्जुन को उसे देख कर बहुत दया आई। अर्जुन ने अपने पास से 100 सोने की मुद्राएं निकाली और पंडित को दे दी। पंडित ने अर्जुन से कहा भगवान तुम्हारी कामना पूरी करें। फिर अर्जुन और श्री कृष्ण वहां से चले गए।

पंडित जी वहां से अपने घर की ओर जाने लगे। पंडित जी को रास्ते पर एक गरीब आदमी दिखा जो की भीख मांग रहा था। पंडित जी ने उसे अनदेखा कर दिया और आगे अपने घर की ओर चलने लगे। आगे जाते ही एक चोर ने पंडित जी के पैसे चुरा लिए और वहां से भाग गया।

पंडित जी को बहुत दुख हुआ और उन्होंने कहा, “हे! भगवान मैंने क्या-क्या नहीं सोचा था कि इन पैसों से मैं अपनी गरीबी दूर करूंगा। पंडित बहुत निराश हो गया।

अगले दिन पंडित वापस जाकर मंदिर के आगे भीख मांगने के लिए खड़ा हो गया। अर्जुन ने फिर पंडित जी को उसी मंदिर के बाहर बैठा हुआ देखा और पंडित जी से बोला, कल मैंने तुम्हें 100 सोने की मुद्राएं दी थी और तुम आज दोबारा यहीं बैठकर भीख मांग रहे हो।

पंडित ने अपनी सारी कहानी अर्जुन को सुनाई। अर्जुन को यह सब सुनकर पंडित पर बड़ी दया आई और उसने अपने हाथ से हीरे की अंगूठी पंडित को दे दी।

पंडित हीरे की अंगूठी पाकर बहुत खुश हुआ और वह वहां से अपने घर की ओर चला गया। पंडित ने रास्ते में एक आदमी को देखा जिसको मदद चाहिए थी।

पंडित ने उस आदमी को नजर अंदाज किया और घर की ओर चलने लगा। घर पहुंच कर उसने सोने की अंगूठी एक खाली मटके के अंदर रख दी। उस समय पंडित की बीवी घर पर नहीं थी इसलिए पंडित भी सो गया। कुछ ही देर बाद पंडित की बीवी घर में आई और मटका उठाकर पानी भरने के लिए नदी की ओर चल पड़ी।

नदी में जैसे ही पंडित की बीवी ने मटका डाला तो तेज पानी के प्रभाव से हीरे की अंगूठी नदी में जा गिरी। पंडित की बीवी मटके में पानी भरकर घर की ओर आई। पंडित ने अपनी बीवी से कहा तुमने वह मटका कहां रखा उसमें हीरे की अंगूठी रखी हुई थी।

पंडित की बीवी ने कहा मुझे तो कोई भी हीरे की अंगूठी नहीं मिली। पंडित को अपनी किस्मत पर बहुत दुख हुआ। उसने पता नहीं क्या-क्या सपने सोच लिए थे।

अगले दिन वापस पंडित मंदिर के सामने जाकर फिर भीख मांगने लगा। अर्जुन ने फिर पंडित को भीख मांगते हुए देखा। अर्जुन ने दोबारा भीख मांगने का कारण पूछा तो पंडित ने अपनी पूरी आपबीती बताई। अर्जुन ने श्री कृष्ण से पूछा,”हे प्रभु! कभी इस पंडित को सुख मिल पाएगा। श्री कृष्ण जी ने मुस्कुराते हुए कहा तुम यह एक सिक्का पंडित को दे दो।

श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि तुम आज पंडित का पीछा करना और देखना पंडित क्या-क्या करता है।

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पंडित को अर्जुन ने वह सिक्का दे दिया। फिर वापस पंडित अपने घर की ओर जाने लगा और मन ही मन मैं कहने लगा कि एक सिक्के से क्या होता है। घर की तरफ जाते हुए पंडित ने एक मछली को देखा जिसको मछुआरे ने एक छोटे से बर्तन में रखा था।

पंडित को उस मछली पर बहुत दया आई। पंडित ने सोचा कि यह सिक्का मेरे क्या काम का, क्यों ना मछली को ही जीवन दान दे दिया जाए। पंडित ने वह सिक्का मछुआरे को दे दिया और उससे वह मछली ले ली।

मछली एक छोटे से बर्तन में थी तो मछली ने अपने पेट से एक हीरे की अंगूठी निकाली। पंडित ने देखा कि यह तो वही हीरे की अंगूठी है जो पानी में बह गई थी। पंडित बहुत तेज चिल्लाया। मिल गया !! मिल गया !!

उसी समय वहां से वही चोर जा रहा था जिसने पंडित के सोने के सिक्के चुराए थे। चोर डर गया कि कहीं वे पकड़ा ना जाए। चोर भाग कर आया और पंडित के पैरों में गिर गया। चोर पंडित के पैरों में गिर कर कहने लगा कि मेरे को माफ कर दीजिए और अपने सोने के सिक्के ले लीजिए।

पंडित यह सब देखकर हैरान रह गया। उसे अपने सारे खोए हुए सिक्के और अंगूठी वापस मिल चुके थे। उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया।

अर्जुन और श्री कृष्ण पंडित को देख रहे थे। अर्जुन ने कहा हे प्रभु आप की लीला अपरम्पार है। पंडित को आपने एक सिक्के से सारे सुख दे दिए। ये आपकी लीला है।

कहानी से शिक्षा – भगवान कृष्ण और गरीब पुजारी | बच्चों की कहानियां

अगर हमारे पास बहुत सी चीजें है जिससे हम लोगों की मदद कर सकते हैं, तो हमे लोगों की मदद करनी चाहिए। जो हम आज दूसरों को देगे, वही कल हमे दोगुना होकर मिलेगा।

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