दोस्तों आज हम आपके लिए एक कहानी लाए हैं। जिसका शीर्षक है एक अंधा आदमी और एक लैंप।
एक बार की बात है एक छोटा सा शहर था। वहां पर एक आदमी रहता था जो कि कुछ देख नहीं सकता था।
वह अंधा था। जब भी वह रात को अपने घर से बाहर जाता था तो अपने साथ एक दीपक भी ले जाया करता था।
एक रात वह बाहर खाना खाकर अपने घर की तरह वापस आ रहा था।
उसी समय एक युवा लड़कों के ग्रुप के साथ जा मिला। पढ़िए कहानी संत और लालची राजा
उन युवा लोगों ने अंधे आदमी को लैंप के साथ देखा। उसके बाद वह युवा वर्ग के लोग उस पर कमेंट करने लगे और उसका मज़ाक बनाने लगे।
उनमें से एक आदमी ने अंधे से कहा ए आदमी! तुम अंधे हो और तुम देख नहीं सकते! तुमने यह लैंप क्यों जला रखा है।
अंधा आदमी मुस्कुराया और उसने कहा हां दुर्भाग्यवश!! मैं अंधा हूं और मैं देख भी नहीं सकता।
लेकिन जो लैंप मैंने जला रखी है यह मैंने आप लोगों के लिए जला रखी है ताकि आपको दिख सके।
शायद तुम एक अंधे आदमी को नहीं देख पाते और मुझे गलती से धक्का दे सकते थे। यही कारण है कि मैंने लैंप जला रखी है।
यह सब सुनकर यात्रियों का जत्था शर्म महसूस करने लगा और उन्होंने अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी।
Moral of the Story – अंधा आदमी और एक लैंप
हमें किसी के ऊपर राय बनाने से पहले सोचना चाहिए। हमें हमेशा विनम्र होना चाहिए और दूसरों की स्थिति को भी समझना चाहिए।