आज हम आपके लिए बच्चों की कहानी लेके आये है। जिसका शीर्षक है “बच्चों के खिलौने“-Bacchon Ke Khilaune। आप इसे अपने बच्चों के साथ पढ़े और उनको अच्छी शिक्षा दे।
चलिए शुरू करते है हमारी कहानी “बच्चों के खिलौने”!!
एक बहुत बड़ा शहर था। उस शहर में दो बच्चे इम्मा और टॉम अपने माता और पिता के साथ रहते थे। इम्मा की आयु 6 साल थी और टॉम की 7 साल थी।
टॉम और इम्मा के पास बहुत सारे खिलौने थे। पर वहे दोनों अपने अपने खिलौने एक दूसरे के साथ बांट कर नहीं खेलते थे। कभी कभी दोनों के बीच इस बात को लेके लड़ाई हो जाती थी की दोनों में से किसके पास सबसे ज़्यादा खिलौने है।
टॉम कहता मेरे पास इम्मा से ज्यादा खिलोने है तो दूसरी ओर से इम्मा कहती मेरे पास तुमसे ज्यादा खिलौने है ओर मेरे खिलौने तुमसे अच्छे है। इसी तरह दोनों एक दूसरे से लड़ते रहते। एक बार दादा जी उनके घर रहने के लिए आए। दादा जी ने आते ही बच्चों से कहा मैं तुम्हारे लिए खिलौने लाया हूँ। दादा जी के पास खिलौनों के दो थैले थे।
टॉम और इम्मा ख़ुशी के साथ कहने लगे दादा जी !! दादा जी !! फिर टॉम और इम्मा दादा जी के पास गए। दादा जी के हाथ से एक थैला टॉम ने लिया और कहा ये मेरे खिलौने है और इम्मा ने दूसरा थैला पकड़ा ओर कहा ये मेरे खिलौने है।
दादा जी ने कहा ये खिलोने तो मैं तुम दोनों के लिये लाया हूँ तो इसमें बाटने की क्या जरूरत। दोनों बच्चो ने कहा हम एक दूसरे के साथ खिलौने नहीं बाँटते। दादा जी को यह सारी बात सुन कर बहुत हैरानी हुई पर वह कुछ भी नहीं कहे सकें। दोनों बच्चे टॉम और इम्मा अपने खिलौने लेके वहां से चले गये।
दादा जी एक बार अखबार पढ़ रहे थे तो उन्होंने देखा दोनों बच्चे आपस में लड़ रहे थे। टॉम ने कहा मेरे पास ज्यादा खिलने है और इम्मा ने कहाँ मेरे पास तुमसे ज्यादा है। इस तरह दोनों आपस में लड़ते रहे। दादा जी ने सोचा बच्चे है ठीक हो जाएगें अपने आप। लेकिन रोज़ ही दोनों बच्चे एक दूसरे से लड़ते रहेते।
दादा जी ने सोचा यह बच्चे ऐसे नहीं समझे गए। इन्हे एकता का मतलब समझना होगा। दादा जी उन दोनों बच्चो के कमरे में गए। वह दोनों रोज की तरह लड़ रहे थे। जैसे ही उन दोनों ने दादा जी को देखा तो कहने लगे। दादाजी! आप बताए हम दोनों में से किसके पास सबसे ज्यादा खिलौने है।
दादा जी ने कहाँ मेरे ख्याल से तुम दोनों के पास कम खिलौने है। दोनों बच्चे गौर से दादा जी को देखने लगे। दादा जी ने कहाँ,” मैं तुम्हारे खिलौने ज़्यादा कर सकता हूँ।
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बच्चों ने कहाँ आप कैसे कर सकते हो दादाजी। दादा जी ने कहा तुम अपनी दोनों अपनी आँखे बंद करो। जैसे ही बच्चो ने आँखे बंद की दादा जी ने दोनों के खिलौने आपस में मिला दिए और उनके आगे अके खड़े हो गए। दादा जी ने दोनों से कहा अपनी आँखे खोलो। जैसे ही दोनों बच्चो ने आँखे खोली तो देखा दोनों के खिलौने आपस में मिले हुए थे।
दोनों बच्चे ये देख के बहुत गुस्सा हुए और कहा,” अपने हमारे खिलौने मिला क्यों दिए ?
दादा जी ने कहा मैंने मिलाए नहीं है बल्कि तुम दोनों के खिलौने दोगुने कर दिए। बच्चो!! एकता में बहुत शक्ति होती है।
अगर हम एक साथ मिलजुल कर रहे तो हमारी ताक़त इन खिलौनों की तरह दोगुनी हो जाएगी। इसलिए हमे झगड़ा नहीं करना चाहिए। हमे हमेशा मिल जूल कर रहना चाहिए।
दादा जी की बाते सुन कर बच्चो को समझ आ गया। उस दिन के बाद बच्चे मिल-जुल कर एक साथ खेलने लगे।
कहानी से शिक्षा – बच्चों के खिलौने | Bacchon Ke Khilaune
हमें हमेशा मिलजुल के आपस में प्रेम से रहना किये क्योकि एकता में ही ताकत है